Monday, 30 May 2016

कन्या लग्न

मित्रो कन्या लग्न  सप्तम  भाव कालपुरुष के अनुसार कन्या लगन छठे भाव की राशि है इस राशि से बुध के सकारात्मक होने का भान मिलता है। कन्या लगन की सहयोगी राशियां वृष और मकर होती है,कन्या का त्रिकोण इन्ही तीन राशियों के लिये अपना आस्तित्व बताता है। धन के लिये शरीर पेट के लिये रोजाना की मेहनत और भाग्य के लिये हमेशा के लिये किये जाने वाले कार्य इन तीनो भावों से एक साथ जुडे माने जाते है। इस लगन के लिये कर्क वृश्चिक और मीन राशि के प्रति जीवन भर के लिये लगाव माना जाता है,कर्क राशि का प्रभाव अपने को समाज में दिखाने के लिये मीन राशि का प्रभाव जीवन साथी और साझेदारी की बातों के लिये और वृश्चिक राशि का प्रभाव लाभ और दोस्ती के लिये माना जाता है। इस राशि के लिये सप्तम की राशि मीन है। मीन राशि और उसके स्वामी गुरु के अनुसार ही जीवन साथी के लिये माना जाता है।

कन्या लगन के लिये जीवन साथी का कारक गुरु है। गुरु की स्थिति के अनुसार ही शादी विवाह और जीवन साथी के प्रभाव को जाना जाता है। गुरु का स्थान अगर दसवे भाव में होता है तो गुरु का स्थान मिथुन राशि में माना जाता है,मिथुन राशि का गुरु कमन्यूकेशन के कार्यों मे अपनी अच्छी पकड रखता है और बडे संस्थानों को सम्भालने के लिये माना जाता है। अगर कन्या लगन के सप्तम मे सूर्य होता है तो दोहरे जीवन साथी के लिये अपना प्रभाव देता है,बुध होता है तो दो स्त्री के लिये सौत और पुरुष के लिये द्विपति वाली स्थिति को समझा जाता है,चन्द्रमा होता है तो पति के स्थान पर केवल छल किया जाना ही मिलता है। चन्द्रमा के होने पर जीवन साथी अपने कार्यों और व्यवहार से केवल छल करता है और जीवन साथी के परिवार वाले जैसे पिता और माता अपने अनुसार पति को चलाने की बात करते है। अगर किसी प्रकार से राहु गुरु को बल देता है तो पति के सामने तमाम तरह के कनफ़्यूजन सामने होते है और समय के आने पर पति अपने ही परिवार को सम्भालने का कार्य करता है और पति के स्थान पर केवल पिछली यादों के सहारे जातिका को अपना जीवन जीना पडता है। सन्तान का कारक शनि है और शनि ही कर्जा दुश्मनी बीमारी का मालिक है,अगर शनि का स्थान पंचम भाव में है तो जीवन साथी के प्रति और लाभ के कामो के साथ खुद के परिवार के प्रति भी अन्धेरा माना जाता है। जातिका या जातक अपने लिये सुरक्षा के प्रति हमेशा चिंतित रहता है.शनि के साथ मंगल होता है तो जातिका या जातक का स्वभाव कार्य के मामले में तेज होताहै उसे कटु बोलना आता है,वह किसी भी कार्य को मन लगाकर करने वाला होता है और कार्य के दौरान अधिकारियों से नही बनती है,साथ ही आक्षेप भी लगाये जाते है। शनि के साथ राहु के होने से भी जातक के जीवन में कभी तो कार्य बहुत होते है और कभी कार्य बिलकुल नही होते है,इसके साथ जातक या जातिका को प्रेम प्रसंग के मामले मे फ़ोटो ग्राफ़ी और खेल कूद को देखने खेलने और जोखिम वाले काम करने की आदत होती है। शनि के साथ शुक्र के होने से जातक या जातिका के पास भौतिक साधनों की भरमार होती है जो भी घर और बाहर के कार्य होते है उनके लिये भौतिक साधन आराम से मिल जाते है लेकिन उम्र की बयालीसवीं साल तक चिन्ता से छुटकारा नही मिलता है।

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