गुरु चन्द्र योग गजकेसरी योग
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दोस्तों,
अक्सर ये सुनने को मिलता है की मेरी कुंडली में गज केसरी योग है। लेकिन फिर भी मेरे पास धन नही है या मेरी आर्थिक हालत उतने अच्छे नही है जितनी की होने चाहिए थे।
आप लोगों का ये सोचना वाजिब भी है क्योंकि ज्योतिष में धन दायक योगों में गजकेसरी का एक महत्वपूर्ण स्थान है| लेकिन केवल योग होने से ही कुछ नही होता उस योग का असर होने के लिय भी कुछ शर्त आवश्यक होती है |
आइये मे आपको इस लेख के माध्यम से समझाता हूँ ।
जब भी गुरु चन्द्र से केंद्र में हो तब गजकेसरी योग माना जाता है| चन्द्र गुरु के योग को ऐसा धन माना गया है जो केवल जातक के ही नही बल्कि उसके सगे सम्बन्धियों के भी काम आता है| इन दोनों के योग को लाल किताब में बरगद के पेड़ की संज्ञा दी गई है जिस प्रकार बरगद का पेड़ विशाल होता है उसी प्रकार इन दोनों ग्रहों के पेड़ की शीतल छाया न केवल जातक को बल्कि उसके सगे सम्बन्धियों को भी लाभ देती है|
इन दोनों के योग से चाहे जातक में अक्ल कम हो लेकिन धन की मात्रा बढती जाती है सफर जातक को लाभ देता है और देवीय सहायता भी जातक को मिलती है|
चन्द्र मन गुरु ज्ञान तो जब मन को ज्ञान रूपी प्रकाश मिल जाता है तो जातक को अध्यात्मिक शान्ति मिलती है |
चन्द्र माता और गुरु घर के बड़े बुजुर्ग इन दोनों का साथ यदि जातक को मिल जाए तो जातक केजीवन में हर प्रकार से लाभ देने वाले सिद्ध होते है|
चन्द्र के दूध में जब गुरु का केसर मिल जाता है तो वो दूध कई गुना ताकतवरऔर लाभ देने वाला बन जाता है| लेकिन इन दोनों केपूर्ण रूपसे शुभ लाभ जातक को प्राप्त हो उसके लिय इन दोनों की स्थिति काफी मायने रखती है जैसे की इन दोनों में से कोई मारक भाव का स्वामी न हो और इन दोनों में से कोई एक नीच का न हो क्योंकि ऐसे में इनका ये योग मान्य नही होगा क्योंकि जैसे शरीर में जिगर गुरु होता है और पानी चन्द्र जब भी हम दूषित पानी पियेंगे धीरे धीरे वो हमारे लीवर में खराबी करेगा उसी प्रकार यदि एक खराब स्थिति मे हुआ तो दुसरे के फल में भी कमी करेगा| जैसे गुरु अपनी नीच राशि मकर या चन्द्र वृश्चिक राशि मै होने पर सकारात्मक प्रभाव कम ही देंगे । साथ ही जब इनके साथ राहू शनि की दृष्टि हो तब भी इनका असर कम हो जाता हैं।
कभी कभी शुभ ग्रह को हम खुद बिगाड़ देते हैं, जैसे गुरु उच्च का होकर शुभ प्रभाव दे रहा और घर मे शराब,तम्बाखू,नशे की वस्तु आना शुरू हो जाए, ईशान कोण मै गन्दगी हो जाए ऐसी स्थिति मे शुभ गुरु नकारात्मक हो जाता हैं
कहने का अभिप्राय है की दोनों ग्रहों का पूर्ण रूप से शुभ फल जातक को प्राप्त होने के लिय दोनों की स्थिति अच्छी होने के साथ आपकी आदतो,घर के वास्तु के साथ ही आपको ये देखना भी जरुरी है की कुंडली के किस भाव में इन दोनों का योग बन रहा है| त्रिक भाव में इन दोनों का योग मान्य नही होता शुभ रूप में|
साथ इनदोनों ग्रहों में डिग्री केहिसाब से बलि होना जरुरी है इनमे से कोई मृत अवस्था मे हो तो योग मान्य नही होगा |दोनों जितने ज्यादा बलि होंगे जातक को उतने ही ज्यादा शुभ फल जातक को मिलेंगे|
अब आप देखिये की क्या आपकी कुंडली मै गजकेसरी योग हैं। यदि हैं और प्रभाव नही दे रहे तो पहले अपने आप को सुधारे, घर के ईशान कोण को स्वच्छ रखे। घर मै बुजुर्गों का सम्मान करे । माता की सेवा करे।
उसके बाद भी यदि गजकेसरी योग का बुरा असर हो रहा हो तो किसी
ज्योतिष से सलाह अवश्य लें ।
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