Monday, 30 May 2016

हीलिंग क्या और कैसे की जाये

🔯🕉जानिये हीलिंग क्या और कैसे की जाये🕉🔯
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संजीवनी शक्ति हर समय शिवयोगी के शरीर हाथों और नेत्रों से प्रवाहित होती रहती है। आप महसूस करने के लिये जब आवाहन करते हो तब आपको वायब्रेशन महसूस होते है अन्यथा ऊर्जा का बहाव तो चलता रहता है।
शांभवि साधक के सोचते ही ऊर्जा जिसको भेजनी है या जिसका आप स्मरण करते हो उस तक पहुँच जाती है।
बस जैसे ही हीलिंग संदेश देखा आपने उस क्षण जागरूक होते हुए आपको माँ भगवती और गुरु मंडल से कनेक्ट होना है और प्रार्थना करनी है और मंत्र जाप करते रहना है मन ही मन और भाव करना है कि हर मंत्र के साथ ऊर्जा बड़ रही है और व्यक्ति स्वस्थ होता जा रहा है।
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समझना अत्यंत ज़रूरी है हीलिंग पावर और सिस्टम को। अक्सर देखा गया है जैसे ही connectivity बनी अगले को आराम आना प्रारम्भ होता है। खेल आपकी सोच का और जुड़ाव का। साँसों की माला मैं सिम्रा मैं तेरा नाम "बंदा मैं बन जावा तेरा शिव शिवा" जब तुम और शिव एक हो गये फिर क्या रह गया - बताओ।

हाँ एक चीज़ आवश्यक है लेने वाले की स्थिति हमेशा कृतज्ञता का भाव और मन चित शान्त। बाबाजी उत्तम समय बोलते है सुबह छे से साड़ें छे-सात तक हीलिंग माँगने वाला कनेक्ट हो जाए और बाबा जी का स्मरण करते हुए हीलिंग माँगे और मंत्र जप प्रारम्भ कर दे उसको हीलिंग मिल जायेगी। आप अपनी साधना जब भी करो जिसको आपको भेजनी है उसका स्मरण अवश्य करो ।
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प्रार्थना इस प्रकार ...👏
हे शिवशिवा, परमपिता परमेश्वर आद्यशक्ति, भगवान महामरत्युंजय, सिद्ध गुरु मंडल, मेरे गुरुदेव कृपा कर XYZ को हील करें, स्वास्थ प्रदान करते हुए जीवन ख़ुशहाल करें।
तो उत्तम समय आपने समज लिया होगा अब तक, पूरा शिवयोग परिवार सुबह कनेक्ट होता है ६-७ तक महादेव से जो की सर्वोत्तम है। बाक़ी गुरुदेव ने कोई समय आप सभी को देखते हुए निश्चित नहीं किया। परंतु वो यह कहते है मैं सुबह उपलब्ध हूँ और यह भी देखा गया है की भाव से कई साधक तो जाकर उनको साथ लेकर आते है अपनी सधना कक्ष में और मिलकर साधना करते है।
Shivyog is knowingness
और ध्यान रहे आप किसी के लिये प्रार्थना करते हो वो आपकी सधना ही है जितना आप किसी के लिये करोगे उतना आप स्वयम् के लिये कर ही रहे हो यह मत सोचना १० मिनट इसका १० मिनट उसका मत करियेगा सब का सिमरन करते हुए साधना प्रारम्भ करना।
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जब १ से ज़्यादा हीलिंग लेने वाले आपके लिस्ट में है तब आप सब का स्मरण करते हुए सधना प्रारम्भ करदे ऊर्जा गुरुदेव को और प्रार्थना माँ भगवती की जीवन दायनी शिवयोग शक्ति से करें।
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द्वैत का माने की आप एक और आपके गुरु एक अद्वैत माने आप और गुरु दोनो एक है। बाबाजी कहते है अद्वैत साधना उत्तम।

ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव और उपाय🌹

🌹ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव और उपाय🌹
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चंद्र

चन्द्रमा माँ का सूचक है और मनं का करक है |शास्त्र कहता है की "चंद्रमा मनसो जात:" | इसकी कर्क राशि है | कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर। माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घर में पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएँ आदि सूख जाते हैं मानसिक तनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मनं में आती है औरमनं में अनिश्चित भय व शंका रहती है और सर्दी बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं।

उपाय : सोमवार का व्रत करना, माता की सेवा करना, शिव की आराधना करना, मोती धारण करना, दो मोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें। कुंडली के छठवें भाव में चंद्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है। यदि चंद्र बारहवाँ हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएँ और ना ही दूध पिलाएँ। सोमवार को सफ़ेद वास्तु जैसे दही,चीनी, चावल,सफ़ेद वस्त्र, १ जोड़ा जनेऊ,दक्षिणा के साथ दान करना और ॐ सोम सोमाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है |

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मंगल

मंगल सेना पति होता है,भाई का भी द्योतक और रक्त का भी करक माना गया है | इसकी मेष और वृश्चिक राशि है |कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर भाई, पटीदारो से विवाद, रक्त सम्बन्धी समस्या, नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, क्रोधित होना, उत्तेजित होना, वात रोग और गठिया हो जाता है। रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जाता। व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। मान्यता यह भी है कि बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं।

उपाय : ताँबा, गेहूँ एवं गुड,लाल कपडा,माचिस का दान करें। तंदूर की मीठी रोटी दान करें। बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएँ, मसूर की दाल दान में दें। हनुमद आराधना करना,हनुमान जी को चोला अर्पित करना,हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना,हनुमान चालीसा,बजरंग बाण,हनुमानाष्टक,सुंदरकांड का पाठ और ॐ अं अंगारकाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है |

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बुध

बुध व्यापार व स्वास्थ्य का करक माना गया है | यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है | बुध वाक् कला का भी द्योतक है | विद्या और बुद्धि का सूचक है | कुंडली में बुध की अशुभता पर दाँत कमजोर हो जाते हैं। सूँघने की शक्ति कम हो जाती है। गुप्त रोग हो सकता है। व्यक्ति वाक् क्षमता भी जाती रहती है। नौकरी और व्यवसाय में धोखा और नुक्सान हो सकता है।

उपाय : भगवान गणेश व माँ दुर्गा की आराधना करे | गौ सेवा करे | काले कुत्ते को इमरती देना लाभकारी होता है | नाक छिदवाएँ। ताबें के प्लेट में छेद करके बहते पानी में बहाएँ। अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्तों को और एक हिस्सा कौवे को दें, या अपने हाथ से गाय को हरा चारा, हरा साग खिलाये। उड़दकी दाल का सेवन करे व दान करे | बालिकाओं को भोजन कराएँ। किन्नेरो को हरी साडी, सुहाग सामग्री दान देना भी बहुत चमत्कारी है | ॐ बुं बुद्धाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है आथवा गणेशअथर्वशीर्ष का पाठ करे | पन्ना धारण करे या हरे वस्त्र धारण करे यदि संभव न हो तो हरा रुमाल साथ रक्खे|

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गुरु

वृहस्पति की भी दो राशि है धनु और मीन | कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगते हैं। परिवार में बिना बात तनाव, कलह - क्लेश का माहोल होता है | सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। आर्थिक नुक्सान या धन का अचानक व्यय,खर्च सम्हलता नहीं, शिक्षा में बाधा आती है। अपयश झेलना पड़ता है। वाणी पर सयम नहीं रहता |

उपाय : ब्रह्मण का यथोचित सामान करे | माथे या नाभी पर केसर का तिलक लगाएँ। कलाई में पीला रेशमी धागा बांधे | संभव हो तो पुखराज धारण करे अन्यथा पीले वस्त्र या हल्दी की कड़ी गांड साथ रक्खे | कोई भी अच्छा कार्य करने के पूर्व अपना नाक साफ करें। दान में हल्दी, दाल, पीतल का पत्र, कोई धार्मिक पुस्तक, १ जोड़ा जनेऊ, पीले वस्त्र, केला, केसर,पीले मिस्ठान, दक्षिणा आदि देवें। विष्णु आराधना करे | ॐ व्री वृहस्पतये नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है |

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शुक्र

शुक्र भी दो राशिओं का स्वामी है, वृषभ और तुला | शुक्र तरुण है, किशोरावस्था का सूचक है, मौज मस्ती,घूमना फिरना,दोस्त मित्र इसके प्रमुख लक्षण है | कुंडली में शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर मनं में चंचलता रहती है, एकाग्रता नहीं हो पाती | खान पान में अरुचि, भोग विलास में रूचि और धन का नाश होता है | अँगूठे का रोग हो जाता है। अँगूठे में दर्द बना रहता है। चलते समय अगूँठे को चोट पहुँच सकती है। चर्म रोग हो जाता है। स्वप्न दोष की श‍िकायत रहती है।

उपाय : माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करे | श्री सूक्त का पाठ करे | खोये के मिस्ठान व मिश्री का भोग लगाये | ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करे | स्वयं के भोजन में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य दें। कन्या भोजन कराये | ज्वार दान करें। गरीब बच्चो व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री का वितरण करे | नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले सकते हैं। अन्न का दान करे | ॐ सुं शुक्राय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना भी लाभकारी सिद्ध होता है |

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राहु

 मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी,आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, व कुंडली में राहु के अशुभ होने पर हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। राजक्ष्यमा रोग के लक्षण प्रगट होते हैं। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहना, भोजन में बाल दिखना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है। जल स्थान में कोई न कोई समस्या आना आदि |

उपाय : गोमेद धारण करे | दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे | तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे | जौ या अनाज को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएँ, कोयले को पानी में बहाएँ, मूली दान में देवें, भंगी को शराब, माँस दान में दें। सिर में चोटी बाँधकर रखें। सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे | इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ रं राहवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है |

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केतु

कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर चर्म रोग, मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, जोड़ों का रोग या मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाता है। संतान को पीड़ा होती है। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।

उपाय : दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे | तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे | कान छिदवाएँ। सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे | इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ कें केतवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है | अपने खाने में से कुत्ते,कौव्वे को हिस्सा दें। तिल व कपिला गाय दान में दें। पक्षिओं को बाजरा दे | चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्था करना अति महत्व्यपूर्ण है |

कभी भी किसी भी उपाय को 43 दिन करना चहिये तब ही फल प्राप्ति संभव होती है। मंत्रो के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उचित मानी गई है | इन उपायों का गोचरवश प्रयोग करके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभ प्रभाव में लाया जा सकता है। सम्बंधित ग्रह के देवता की आराधना और उनके जाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में अत्यधिक लाभप्रद होते है |
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सूर्य

सूर्य पिता, आत्मा समाज में मान, सम्मान, यश, कीर्ति, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा का करक होता है | इसकी राशि है सिंह | कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर पेट, आँख, हृदय का रोग हो सकता है साथ ही सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। इसके लक्षण यह है कि मुँह में बार-बार बलगम इकट्ठा हो जाता है, सामाजिक हानि, अपयश, मनं का दुखी या असंतुस्ट होना, पिता से विवाद या वैचारिक मतभेद सूर्य के पीड़ित होने के सूचक है |

उपाय : ऐसे में भगवान राम की आराधना करे | आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करे, सूर्य को आर्घ्य दे, गायत्री मंत्र का जाप करे | ताँबा, गेहूँ एवं गुड का दान करें। प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें। ताबें के एक टुकड़े को काटकर उसके दो भाग करें। एक को पानी में बहा दें तथा दूसरे को जीवन भर साथ रखें। ॐ रं रवये नमः या ॐ घृणी सूर्याय नमः १०८ बार (१ माला) जाप करे|
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चंद्र

चन्द्रमा माँ का सूचक है और मनं का करक है |शास्त्र कहता है की "चंद्रमा मनसो जात:" | इसकी कर्क राशि है | कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर। माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घर में पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएँ आदि सूख जाते हैं मानसिक तनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मनं में आती है औरमनं में अनिश्चित भय व शंका रहती है और सर्दी बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं।

उपाय : सोमवार का व्रत करना, माता की सेवा करना, शिव की आराधना करना, मोती धारण करना, दो मोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें। कुंडली के छठवें भाव में चंद्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है। यदि चंद्र बारहवाँ हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएँ और ना ही दूध पिलाएँ। सोमवार को सफ़ेद वास्तु जैसे दही,चीनी, चावल,सफ़ेद वस्त्र, १ जोड़ा जनेऊ,दक्षिणा के साथ दान करना और ॐ सोम सोमाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है |

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मंगल

मंगल सेना पति होता है,भाई का भी द्योतक और रक्त का भी करक माना गया है | इसकी मेष और वृश्चिक राशि है |कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर भाई, पटीदारो से विवाद, रक्त सम्बन्धी समस्या, नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, क्रोधित होना, उत्तेजित होना, वात रोग और गठिया हो जाता है। रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जाता। व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। मान्यता यह भी है कि बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं।

उपाय : ताँबा, गेहूँ एवं गुड,लाल कपडा,माचिस का दान करें। तंदूर की मीठी रोटी दान करें। बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएँ, मसूर की दाल दान में दें। हनुमद आराधना करना,हनुमान जी को चोला अर्पित करना,हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना,हनुमान चालीसा,बजरंग बाण,हनुमानाष्टक,सुंदरकांड का पाठ और ॐ अं अंगारकाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है |

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बुध

बुध व्यापार व स्वास्थ्य का करक माना गया है | यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है | बुध वाक् कला का भी द्योतक है | विद्या और बुद्धि का सूचक है | कुंडली में बुध की अशुभता पर दाँत कमजोर हो जाते हैं। सूँघने की शक्ति कम हो जाती है। गुप्त रोग हो सकता है। व्यक्ति वाक् क्षमता भी जाती रहती है। नौकरी और व्यवसाय में धोखा और नुक्सान हो सकता है।

उपाय : भगवान गणेश व माँ दुर्गा की आराधना करे | गौ सेवा करे | काले कुत्ते को इमरती देना लाभकारी होता है | नाक छिदवाएँ। ताबें के प्लेट में छेद करके बहते पानी में बहाएँ। अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्तों को और एक हिस्सा कौवे को दें, या अपने हाथ से गाय को हरा चारा, हरा साग खिलाये। उड़दकी दाल का सेवन करे व दान करे | बालिकाओं को भोजन कराएँ। किन्नेरो को हरी साडी, सुहाग सामग्री दान देना भी बहुत चमत्कारी है | ॐ बुं बुद्धाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है आथवा गणेशअथर्वशीर्ष का पाठ करे | पन्ना धारण करे या हरे वस्त्र धारण करे यदि संभव न हो तो हरा रुमाल साथ रक्खे|

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गुरु

वृहस्पति की भी दो राशि है धनु और मीन | कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगते हैं। परिवार में बिना बात तनाव, कलह - क्लेश का माहोल होता है | सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। आर्थिक नुक्सान या धन का अचानक व्यय,खर्च सम्हलता नहीं, शिक्षा में बाधा आती है। अपयश झेलना पड़ता है। वाणी पर सयम नहीं रहता |

उपाय : ब्रह्मण का यथोचित सामान करे | माथे या नाभी पर केसर का तिलक लगाएँ। कलाई में पीला रेशमी धागा बांधे | संभव हो तो पुखराज धारण करे अन्यथा पीले वस्त्र या हल्दी की कड़ी गांड साथ रक्खे | कोई भी अच्छा कार्य करने के पूर्व अपना नाक साफ करें। दान में हल्दी, दाल, पीतल का पत्र, कोई धार्मिक पुस्तक, १ जोड़ा जनेऊ, पीले वस्त्र, केला, केसर,पीले मिस्ठान, दक्षिणा आदि देवें। विष्णु आराधना करे | ॐ व्री वृहस्पतये नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है |

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शुक्र

शुक्र भी दो राशिओं का स्वामी है, वृषभ और तुला | शुक्र तरुण है, किशोरावस्था का सूचक है, मौज मस्ती,घूमना फिरना,दोस्त मित्र इसके प्रमुख लक्षण है | कुंडली में शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर मनं में चंचलता रहती है, एकाग्रता नहीं हो पाती | खान पान में अरुचि, भोग विलास में रूचि और धन का नाश होता है | अँगूठे का रोग हो जाता है। अँगूठे में दर्द बना रहता है। चलते समय अगूँठे को चोट पहुँच सकती है। चर्म रोग हो जाता है। स्वप्न दोष की श‍िकायत रहती है।

उपाय : माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करे | श्री सूक्त का पाठ करे | खोये के मिस्ठान व मिश्री का भोग लगाये | ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करे | स्वयं के भोजन में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य दें। कन्या भोजन कराये | ज्वार दान करें। गरीब बच्चो व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री का वितरण करे | नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले सकते हैं। अन्न का दान करे | ॐ सुं शुक्राय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना भी लाभकारी सिद्ध होता है |

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राहु

मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी,आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, व कुंडली में राहु के अशुभ होने पर हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। राजक्ष्यमा रोग के लक्षण प्रगट होते हैं। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहना, भोजन में बाल दिखना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है। जल स्थान में कोई न कोई समस्या आना आदि |

उपाय : गोमेद धारण करे | दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे | तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे | जौ या अनाज को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएँ, कोयले को पानी में बहाएँ, मूली दान में देवें, भंगी को शराब, माँस दान में दें। सिर में चोटी बाँधकर रखें। सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे | इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ रं राहवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है |

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केतु

कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर चर्म रोग, मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, जोड़ों का रोग या मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाता है। संतान को पीड़ा होती है। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।

उपाय : दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे | तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे | कान छिदवाएँ। सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे | इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ कें केतवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है | अपने खाने में से कुत्ते,कौव्वे को हिस्सा दें। तिल व कपिला गाय दान में दें। पक्षिओं को बाजरा दे | चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्था करना अति महत्व्यपूर्ण है |

कभी भी किसी भी उपाय को 43 दिन करना चहिये तब ही फल प्राप्ति संभव होती है। मंत्रो के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उचित मानी गई है | इन उपायों का गोचरवश प्रयोग करके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभ प्रभाव में लाया जा सकता है। सम्बंधित ग्रह के देवता की आराधना और उनके जाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में अत्यधिक लाभप्रद होते है |
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गुरु चन्द्र योग गजकेसरी योग


   गुरु चन्द्र योग गजकेसरी योग
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दोस्तों,

अक्सर  ये  सुनने को मिलता है की मेरी कुंडली में गज केसरी योग है। लेकिन फिर भी मेरे पास धन नही है या मेरी आर्थिक हालत  उतने अच्छे नही है  जितनी की होने चाहिए थे।

आप लोगों का ये सोचना वाजिब भी है क्योंकि ज्योतिष में धन दायक योगों में गजकेसरी का एक महत्वपूर्ण स्थान है| लेकिन केवल योग होने से ही कुछ नही   होता उस योग का असर होने के लिय भी कुछ शर्त  आवश्यक होती है  |

आइये मे आपको इस लेख के माध्यम से समझाता हूँ ।

जब भी गुरु चन्द्र से केंद्र में हो तब गजकेसरी योग माना जाता है| चन्द्र गुरु के योग को ऐसा धन माना गया है जो केवल जातक के ही नही बल्कि उसके सगे सम्बन्धियों के भी काम आता है| इन दोनों के योग को लाल किताब में बरगद के पेड़ की संज्ञा दी गई है जिस प्रकार बरगद का पेड़ विशाल होता है उसी प्रकार इन दोनों ग्रहों के पेड़ की शीतल छाया न केवल जातक को बल्कि उसके सगे सम्बन्धियों को भी लाभ देती है|

इन दोनों के योग से चाहे जातक में अक्ल कम हो लेकिन धन की मात्रा बढती जाती है सफर जातक को लाभ देता है और देवीय सहायता भी जातक को मिलती है|

चन्द्र मन गुरु ज्ञान तो जब मन को ज्ञान रूपी प्रकाश मिल जाता है तो जातक को अध्यात्मिक शान्ति मिलती है |

चन्द्र माता और गुरु घर के बड़े बुजुर्ग इन दोनों का साथ यदि जातक को मिल जाए तो जातक केजीवन में हर प्रकार से लाभ देने वाले सिद्ध होते है|
चन्द्र के दूध में जब गुरु का केसर मिल जाता है तो वो दूध कई गुना ताकतवरऔर लाभ देने वाला बन जाता है| लेकिन इन दोनों केपूर्ण रूपसे शुभ लाभ जातक को प्राप्त हो उसके लिय इन दोनों की स्थिति काफी मायने रखती है जैसे की इन दोनों में से कोई मारक भाव का स्वामी न हो और इन दोनों में से कोई एक नीच का न हो क्योंकि ऐसे में इनका ये योग मान्य नही होगा क्योंकि जैसे शरीर में जिगर गुरु होता है और पानी चन्द्र जब भी हम दूषित पानी पियेंगे धीरे धीरे वो हमारे लीवर में खराबी करेगा उसी प्रकार यदि एक खराब स्थिति मे हुआ तो दुसरे के फल में भी कमी करेगा| जैसे गुरु अपनी नीच राशि मकर या चन्द्र वृश्चिक राशि मै होने पर सकारात्मक प्रभाव कम ही देंगे । साथ ही जब इनके साथ राहू शनि की दृष्टि हो तब भी इनका असर कम हो जाता हैं।

कभी कभी शुभ ग्रह को हम खुद बिगाड़ देते हैं, जैसे गुरु उच्च का होकर शुभ प्रभाव दे रहा और घर मे शराब,तम्बाखू,नशे की वस्तु आना शुरू हो जाए, ईशान कोण मै गन्दगी हो जाए ऐसी स्थिति मे शुभ गुरु नकारात्मक हो जाता हैं 

कहने का अभिप्राय है की दोनों ग्रहों का पूर्ण रूप से शुभ फल जातक को प्राप्त होने के लिय दोनों की स्थिति अच्छी होने के साथ आपकी आदतो,घर के वास्तु के साथ ही आपको ये देखना भी जरुरी है की कुंडली के किस भाव में इन दोनों का योग बन रहा है| त्रिक भाव में इन दोनों का योग मान्य नही होता शुभ रूप में|

साथ इनदोनों ग्रहों में डिग्री केहिसाब से बलि होना जरुरी है इनमे से कोई मृत अवस्था मे हो तो योग मान्य नही होगा |दोनों जितने ज्यादा बलि होंगे जातक को उतने ही ज्यादा शुभ फल जातक को मिलेंगे|

  अब आप देखिये की क्या आपकी कुंडली मै गजकेसरी योग हैं। यदि हैं और प्रभाव नही दे रहे तो पहले अपने आप को सुधारे, घर के ईशान कोण को स्वच्छ रखे। घर मै बुजुर्गों का सम्मान करे । माता की सेवा करे।
उसके बाद भी यदि गजकेसरी योग का बुरा असर हो रहा हो तो किसी
ज्योतिष से सलाह अवश्य लें ।

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