🌀नीम
⚫Leptospirosis दुनिया के अनेक देशों में जानवरों से फैलने वाला घातक इन्फेक्शन है. गर्म दशों में यह एक महामारी के रूप में भी फैलता है. साथ ही जो लोग पानी से भरे स्थानों में काम करते हैं उनको इस रोग के होने की अधिक सम्भावना होती है. नीम के तेल में antibacterial और antidermatophytic गुण होने के कारण Leptospiricidal activity को शरीर में होने से रोका जा सकता है. नीम का तेल हमारी त्वचा पर antibacterial film बना देता है और शरीर में bacteria को अन्दर आने से रोक देता है.
नीम का औषध योग- पारिभद्र तेल, पञ्चनिम्बादि चूर्ण.
🌀ब्राह्मी -
⚫ब्राह्मी के तेल का extract gram positive Bacillus subtilis, Staphylococus aureus और gram negative Escherichia coli, Pseudomonas aeruginosa, Shigella somnei organisms के विरुद्ध Antibacterial गुण वाला होता है. ब्राह्मी (Bacopa monneri) के aerial part के Petroleum ether (60-80 Celsius) और ethanolic extracts को indian earth worms (Pheretima posthuma) पर कृमि नाशक गुणों के लिए सफलता पूर्वक प्रयोग किया जा चुका है. इस प्रयोग में albendazole और piperizine citrate को reference standards के रूप में प्रयोग किया गया था.
ब्राह्मी का औषध योग- सारस्वतारिष्ट, ब्राह्मी घृत. ब्राह्मी तेल
🌀तुलसी –
⚫तुलसी में पाए जाने वाले केमिकल्स के अध्ययन से पता चलता है की यह pseudomonas, staphylococcus (gram positive), Escherichia coli (gram negative) bacteria और Candida albicans fungus के विरुद्ध प्रभावशाली है.
तुलसी का औषध योग- तुलसी चूर्ण, तुलसी क्वाथ.
🌀गिलोय/गुडूची -
⚫गिलोय/गुडूची में anti-inflammatory, analgesic, antipyretic और immunosuppressive गुणों की खोज करी जा चुकी है. गुडूची की पत्तियों के extract में Proteus vulgaris, Staphylococcus aureus, Streptococcus pyogenes, Bacillus subtilis और Escherichia coli के विरुद्ध Antibacterial गुण होता है.
गुडूची का औषध योग-अमृतारिष्ट, अमृतादि गुग्गुल
🌀करमर्द-
⚫करमर्द (Carissa carandas) की पत्ती के Benzene extract में भी antibacterial गुण होते हैं.
औषध योग- करमर्द चूर्ण
🌀त्रिफला-
⚫त्रिफला चूर्ण में Staphylococcus epidermidis, S.aureus, Proteus vulgaris, Pseudomonas aeruginosa, Salmonella typhi के विरुद्ध Antibacterial activity पायी जाती है.
🌀हरीतकी –
⚫हरीतकी चूर्ण में S. epidermidis, S. aureus, B.subtilis, P.vulgaris, S.typhi, P.aeruginosa के विरुद्ध मज़बूत Antibacterial activity पायी जाती है.
🌀बहेड़ा –
⚫बहेड़ा चूर्ण में E.coli, S.aureus, P.aeruginosa, P.vulgaris, S.epidermidis, S.typhi, S.typhimurium के विरुद्ध मज़बूत Antibacterial activity पायी जाती है.
🌀स्वर्ण भस्म-
⚫Pulmonary tuberculosis में स्वर्ण भस्म का प्रयोग किया जाता है .स्वर्ण भस्म को एक अच्छा antiseptic माना जाता है और इसमें रसायन गुण यानि शरीर से व्याधि नाशक गुण होने के कारण इसका प्रयोग अनेक रोगों में किया जाता है.
🌀सुदर्शन चूर्ण-
⚫सुदर्शन चूर्ण में रक्त शोधक और उदर रोगों को ठीक करने की क्षमता होती है. अध्ययनों से यह साबित हुआ है की यह S.aureus, S. epidermidis, B.subtilis, S.typhimurium, E.coli, K.pneumoniae, S.typhi and P.vulgaris नामक बैक्टेरिया के विरुद्ध antibacterial कार्य करता है.
🌀स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण –
⚫स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण के Methanolic extract में S.aureus, B. subtilis, P. vulgaris और P. aeruginosa के विरुद्ध antibacterial गुण होते हैं.
🌀मंजिष्ठादि चूर्ण –
⚫मंजिष्ठादि चूर्ण आयुर्वेद में रक्त शोधक और ज्वर नाशक के रूप में उपयोग किया जाता है. अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है की यह S.epidermidis, S.aureus, B.subtilis, S. typhimurium, E. coli, P. aeruginosa, K. pneumonia, P. vulgaris, S.typhi और E.aerogenes के विरुद्ध antibacterial कार्य करता है.
🌀दशमूल –
⚫दशमूल चूर्ण में S.aureus, S.epidermidis, P.vulgaris, S.typhi, B.subtilis, E.coli, K.pneumonia, E. aerogenes और P.aeruginosa के विरुद्ध antibacterial potential होता है.दशमूल चूर्ण के घटक बिल्व (Aegle marmelos) में V. cholerae, E. coli and Shigella sp. के विरुद्ध antibacterial गुण होते हैं.
🌀पिप्पलीमूल चूर्ण –
⚫पिप्पलीमूल चूर्ण में S. aureus, S. epidermidis, E. coli, B. subtilis and P. vulgaris के विरुद्ध antibacterial गुण देखे गए हैं.
🌀शिवाक्षार पाचन चूर्ण –
⚫शिवाक्षार पाचन चूर्ण में Bacillus megaterium, B. subtilis, L. acidophilus, M. luteus, S. epidermidis, S. aureus, E. coli, S. typhi and S. flexneri के विरुद्ध antibacterial गुण पाए गए हैं. शिवाक्षार पाचन चूर्ण के जलीय और organic extract S. aureus, S. epidermidis, B. subtilis, P. aeruginosa and P. vulgaris को समाप्त कर देते हैं.
🌀अन्य औषधियां-
⚫मेथी (Trigonella foenum-graecum) (leaves) ,हल्दी (Curcuma longa) (rhizome),घृत कुमारी (Aloe vera) (aerial part),लहसुन (Allium sativum) (bulb),अदरख (Zingiber officinale) (rhizome) और मण्डूकपर्णी (Centella asiatica) (leaves) के Ethanolic extracts को Aspergillus flavus, A. terreus और Mucor species के विरुद्ध antifungal activity वाले गुणों से युक्त पाया गया है.
🌀चोट, घाव और त्वचा के इन्फेक्शन्स में “सूक्ष्म त्रिफला” और “गंधक रसायन” infection समाप्त करते हैं
🌀Amoebic dysentery और डायरिया में “कुटज” infection समाप्त करता हैं.
पायरिया और मसूड़ों के इन्फेक्शन में बबूल, हल्दी और त्रिफला का प्रयोग किया जाय तो infection रोका जा सकता है.
Urinary tract infections में “चंद्रप्रभा वटी” और “वंग भस्म” infection समाप्त करते हैं.
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