Wednesday, 17 August 2016

भाई-बहन का रिश्ता, कुंडली और ग्रह

भाई-बहन का रिश्ता, कुंडली और ग्रह ********************************* कुंडली का तीसरा और ग्यारहवाँ घर भाई और बहन के रिश्ते का होता है।तीसरा घर छोटे भाई-बहन का तो ग्यारहवा घर बड़े भाई-बहन का घर होता है।बड़े भाई का कारक बृहस्पति तो छोटे भाई का कारक मंगल होता है।बहन का कारक बुध ग्रह है।जिन व्यक्तियो की कुंडली का तीसरा भाव, इस भाव का स्वामी और कारक मंगल शुभ और बली अवस्था में होता है उन व्यक्तियो को अपने छोटे भाईयो का स्नेह, प्रेम और सहयोग अधिक प्राप्त होता।इसी तरह यदि तीसरा भाव, इस भाव का स्वामी और कारक बुध शुभ और बलवान स्थिति में हो तब छोटी बहन का प्रेम स्नेह, सहयोग अधिक प्राप्त होता है।इस भाव भावेश और छोटे भाई के कारक मंगल जितने शुभ या शुभग्रहों के प्रभाव व बली स्थिति में होंगे उतने ही अच्छे सम्बन्ध अपने छोटे भाइयो से रहते है।यह स्थिति बड़े भाई या बहन की कुंडली में होने पर बड़े-भाई इस सम्बन्ध में अनुकूल परिणाम मिलते है।इसी तरह आपके छोटे-भाई की कुंडली में भी ग्यारहवाँ भाव, ग्यारहवे भाव का स्वामी और बड़े भाई के कारक बृहस्पति और बहन के कारक बुध बली और शुभ स्थिति में होंगे तब दोनों भाई बहनो का रिश्ता अत्यंत मधुर और श्रेष्ठ होगा।ऐसे योग में भाई-बहनो को एक दूसरे का सहयोग अधिक मिलता है।भाई-बहन दोनों की कुंडली में से किसी एक की कुंडली में यदि बड़े भाई या कुंडली में तीसरे स्थान, इस स्थान के स्वामी और कारक भाई के लिए मंगल और बहन के लिए बुध यदि सब अशुभ, पाप ग्रहो से पीड़ित या दूषित अवस्था में होंगे तब या तो छोटे-भाई बहन का सुख, सहयोग, स्नेह अधिक प्राप्त नही होता या छोटे भाई या बहन होते ही नही है।इसी प्रकार कारक ग्रहो को देखते हुए बड़े-भाई बहन के सम्बन्ध में ग्यारहवे स्थान से उनके सुख, प्रेम, स्नेह या बड़े-भाई बहन का न होना का विचार किया जाता है।भाई-बहन के रिश्ते के सम्बन्ध में यह कुछ जानकारी देने का प्रयास किया गया है। जन्मकुंडली के अतिरिक्त द्रेष्काण कुंडली भाई-बहन के लिए मुख्य रूप से देखी जाती है।कई व्यक्तियो की जन्मकुंडली में भाई-बहन के सुख का योग ही नही होता फिर भी उन व्यक्तियो को अपने भाई बहन का सुख व स्नेह प्राप्त होता है इसके लिए उनकी द्रेष्काण कुंडली में भाई-बहनो के सुख के योग व स्थितियां बनी हुई होती है।
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