मंगल दोष कारण और निवारण aur कैसे करें शनिदेव को प्रसन्न :--
जिन कुमारी कन्याओ का विवाह नही हो रहा है या विवाह में परेशानियाँ आ रही है वे कन्यायें इस मंत्र का नित्य प्रति दिन 11 माला जप करे तो उनका विवाह शीघ्र होगा मंत्र का उच्चारण शुद्ध करे
ॐ कात्यायनी महामाया, महायोगीन्यधीश्वरी
नंद गोप सुतं देहि पति में कुरु ते नम: ॐ ।।
या इस मंत्र के सम्पुट से १० पाठ दुर्गा शप्तशती के किसी योग्य पंडित जी से करवाये तो आप की
कन्या का विवाह शीघ्र होगा…
मनोवांछित श्रेष्ठ वर-प्राप्ति प्रयोग
१॰ भगवती सीता ने गौरी की उपासना निम्न मन्त्र द्वारा की थी, जिसके
फलस्वरुप उनका विवाह भगवान् श्रीराम से हुआ। अतः कुमारी कन्याओं को
मनोवाञ्छित वर पाने के लिये इसका पाठ करना चाहिए।
“ॐ श्रीदुर्गायै सर्व-विघ्न-विनाशिन्यै नमः स्वाहा।
सर्व-मङ्गल-मङ्गल्ये,
सर्व-काम-प्रदे देवि, देहि मे वाञ्छितं नित्यं, नमस्ते शंकर-प्रिये।।
दुर्गे शिवेऽभये माये, नारायणि सनातनि, जपे मे मङ्गले देहि, नमस्ते
सर्व-मङ्गले।।”
विधि- प्रतिदिन माँ गौरी का स्मरण-पूजन कर ११ पाठ करे।
२॰ कन्याओं के विवाहार्थ अनुभूत प्रयोग
इसका प्रयोग द्वापर में गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति-रुप में प्राप्त
करने
के लिए किया था। ‘नन्द-गोप-सुतं देवि’ पद को आवश्यकतानुसार परिवर्तित
किया
जा सकता है, जैसे- ‘अमुक-सुतं अमुकं देवि’।
“कात्यायनि महा-माये महा-योगिन्यधीश्वरि।
नन्द-गोप-सुतं देवि, पतिं मे कुरु ते नमः।”
विधि- भगवती कात्यायनी का पञ्चोपचार (१ गन्ध-अक्षत २ पुष्प ३ धूप ४ दीप ५
नैवेद्य) से पूजन करके उपर्युक्त मन्त्र का १०,००० (दस हजार) जप तथा
दशांश
हवन, तर्पण तथा कन्या भोजन कराने से कुमारियाँ इच्छित वर प्राप्त कर
सकती
है।
३॰. लड़की के शीघ्र विवाह के लिए ७० ग्राम चने की दाल, ७० से॰मी॰ पीला
वस्त्र, ७ पीले रंग में रंगा सिक्का, ७ सुपारी पीला रंग में रंगी, ७
गुड़
की डली, ७ पीले फूल, ७ हल्दी गांठ, ७ पीला जनेऊ- इन सबको पीले वस्त्र
में
बांधकर विवाहेच्छु जातिका घर के किसी सुरक्षित स्थान में गुरुवार प्रातः
स्नान करके इष्टदेव का ध्यान करके तथा मनोकामना कहकर पोटली को ऐसे स्थान
पर
रखें जहाँ किसी की दृष्टि न पड़े। यह पोटली ९० दिन तक रखें।
४॰ श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए बालकाण्ड का पाठ करे।
५॰ किसी स्त्री जातिका को अगर किसी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो,
तो
श्रावण कृष्ण सोमवार से या नवरात्री में गौरी-पूजन करके निम्न मन्त्र का
२१००० जप करना चाहिए-
“हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कान्त कान्तां सुदुर्लभाम।।”
६॰ “ॐ गौरी आवे शिव जी व्याहवे (अपना नाम) को विवाह तुरन्त सिद्ध करे,
देर न
करै, देर होय तो शिव जी का त्रिशूल पड़े। गुरु गोरखनाथ की दुहाई।।”
उक्त मन्त्र की ११ दिन तक लगातार १ माला रोज जप करें। दीपक और धूप जलाकर
११वें दिन एक मिट्टी के कुल्हड़ का मुंह लाल कपड़े में बांध दें। उस
कुल्हड़ पर बाहर की तरफ ७ रोली की बिंदी बनाकर अपने आगे रखें और ऊपर
दिये
गये मन्त्र की ५ माला जप करें। चुपचाप कुल्हड़ को रात के समय किसी
चौराहे
पर रख आवें। पीछे मुड़कर न देखें। सारी रुकावट दूर होकर शीघ्र विवाह हो
जाता है।
७॰ जिस लड़की के विवाह में बाधा हो उसे मकान के वायव्य दिशा में सोना
चाहिए।
८॰ लड़की के पिता जब जब लड़के वाले के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें
तो
लड़की अपनी चोटी खुली रखे। जब तक पिता लौटकर घर न आ जाए तब तक चोटी नहीं
बाँधनी चाहिए।
९॰ लड़की गुरुवार को अपने तकिए के नीचे हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में
लपेट
कर रखे।
१०॰ पीपल की जड़ में लगातार १३ दिन लड़की या लड़का जल चढ़ाए तो शादी की
रुकावट दूर हो जाती है।
११॰ विवाह में अप्रत्याशित विलम्ब हो और जातिकाएँ अपने अहं के कारण अनेक
युवकों की स्वीकृति के बाद भी उन्हें अस्वीकार करती रहें तो उसे निम्न
मन्त्र का १०८ बार जप प्रत्येक दिन किसी शुभ मुहूर्त्त से प्रारम्भ करके
करना चाहिए।
“सिन्दूरपत्रं रजिकामदेहं दिव्याम्बरं सिन्धुसमोहितांगम् सान्ध्यारुणं
धनुः
पंकजपुष्पबाणं पंचायुधं भुवन मोहन मोक्षणार्थम क्लैं मन्यथाम।
महाविष्णुस्वरुपाय महाविष्णु पुत्राय महापुरुषाय पतिसुखं मे शीघ्रं देहि
देहि।।”
१२॰ किसी भी लड़के या लड़की को विवाह में बाधा आ रही हो यो विघ्नहर्ता
गणेशजी की उपासना किसी भी चतुर्थी से प्रारम्भ करके अगले चतुर्थी तक एक
मास
करना चाहिए। इसके लिए स्फटिक, पारद या पीतल से बने गणेशजी की मूर्ति
प्राण-प्रतिष्ठित, कांसा की थाली में पश्चिमाभिमुख स्थापित करके स्वयं
पूर्व की ओर मुँह करके जल, चन्दन, अक्षत, फूल, दूर्वा, धूप, दीप,
नैवेद्य
से पूजा करके १०८ बार “ॐ गं गणेशाय नमः” मन्त्र पढ़ते हुए गणेश जी पर
१०८
दूर्वा चढ़ायें एवं नैवेद्य में मोतीचूर के दो लड्डू चढ़ायें। पूजा के
बाद
लड्डू बच्चों में बांट दें।
यह प्रयोग एक मास करना चाहिए। गणेशजी पर चढ़ये गये दूर्वा लड़की के पिता
अपने जेब में दायीं तरफ लेकर लड़के के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें।
१३॰ पति-स्तवनम्
नमः कान्ताय सद्-भर्त्रे, शिरश्छत्र-स्वरुपिणे।
नमो यावत् सौख्यदाय, सर्व-सेव-मयाय च।।
नमो ब्रह्म-स्वरुपाय, सती-सत्योद्-भवाय च।
नमस्याय प्रपूज्याय, हृदाधाराय ते नमः।।
सती-प्राण-स्वरुपाय, सौभाग्य-श्री-प्रदाय च।
पत्नीनां परनानन्द-स्वरुपिणे च ते नमः।।
पतिर्ब्रह्मा पतिर्विष्णुः, पतिरेव महेश्वरः।
पतिर्वंश-धरो देवो, ब्रह्मात्मने च ते नमः।।
क्षमस्व भगवन् दोषान्, ज्ञानाज्ञान-विधापितान्।
पत्नी-बन्धो, दया-सिन्धो दासी-दोषान् क्षमस्व वै।।
।।फल-श्रुति।।
स्तोत्रमिदं महालक्ष्मि, सर्वेप्सित-फल-प्रदम्।
पतिव्रतानां सर्वासाण, स्तोत्रमेतच्छुभावहम्।।
नरो नारी श्रृणुयाच्चेल्लभते सर्व-वाञ्छितम्।
अपुत्रा लभते पुत्रं, निर्धना लभते ध्रुवम्।।
रोगिणी रोग-मुक्ता स्यात्, पति-हीना पतिं लभेत्।
पतिव्रता पतिं स्तुत्वा, तीर्थ-स्नान-फलं लभेत्।।
विधिः-
१॰ पतिव्रता नारी प्रातः-काल उठकर, रात्रि के वस्त्रों को त्याग कर,
प्रसन्नता-पूर्वक उक्त स्तोत्र का पाठ करे। फिर घर के सभी कामों से निबट
कर, स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर, भक्ति-पूर्वक पति को सुगन्धित जल से
स्नान करा कर शुक्ल वस्त्र पहनावे। फिर आसन पर उन्हें बिठाकर मस्तक पर
चन्दन का तिलक लगाए, सर्वांग में गन्ध का लेप कर, कण्ठ में पुष्पों की
माला
पहनाए। तब धूप-दीप अर्पित कर, भोजन कराकर, ताम्बूल अर्पित कर, पति को
श्रीकृष्ण या श्रीशिव-स्वरुप मानकर स्तोत्र का पाठ करे।
२॰ कुमारियाँ श्रीकृष्ण, श्रीविष्णु, श्रीशिव या अन्य किन्हीं
इष्टदेवता
का पूजन कर उक्त स्तोत्र के नियमित पाठ द्वारा मनो-वाञ्छित पति पा सकती है।
३॰ प्रणय सम्बन्धों में माता-पिता या अन्य लोगों द्वारा बाधा डालने की
स्थिति में उक्त स्तोत्र पाठ कर कोई भी दुखी स्त्री अपनी कामना पूर्ण कर
सकती है।
४॰ उक्त स्तोत्र का पाठ केवल स्त्रियों को करना चाहिए। पुरुषों को
‘विरह-ज्वर-विनाशक, ब्रह्म-शक्ति-स्तोत्र’ का पाठ करना चाहिए, जिससे
पत्नी
का सुख प्राप्त हो सकेगा।.