Wednesday, 29 July 2015

Business pa lagatar loss hona par

यदि आपके व्यापार में लगातार हानि हो रही हो, घाटा रुकने का नाम नही ले रहा हो तो -गुरुवार के दिन एक नारियल सवा मीटर पीले वस्त्र में लपेटे. एक जोड़ा जनेऊ,सवा पाव मिष्ठान के साथ आस-पास के किसी भी विष्णु मन्दिर में अपने संकल्प के साथ चढ़ा दें. तत्काल ही लाभप्राप्त होगा. व्यापार चल निकलेगा.यदि धन का संचय न हो पा रहा हो, परिवार आर्थिक दशा को लेकर चिन्तित हो तो-शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के मन्दिर में एक जटावाला नारियल, गुलाब, कमल पुष्प माला, सवा मीटर गुलाबी, सफ़ेद कपड़ा, सवा पाव चमेली, दही, सफ़ेद मिष्ठान एक जोड़ा जनेऊ के साथ माता को अर्पित करें. माँ की कपूर व देसी घी से आरती उतारें तथा श्रीकनकधारास्तोत्र का जाप करें. धन सम्बन्धी समस्या तत्काल समाप्त हो जायेगी.

Monday, 27 July 2015

Gomti chakra

धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें। उनके सामने श्री नम: का जप करें। इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं उसमें बरकत होगी और आमदनी बढऩे लगेगी।
2 - पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट से संबंधित रोगों में लाभ मिलता है।
3- गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदूर तथा चावल डालकर रखें तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं।
4- होली, दीवाली तथा नवरात्र आदि प्रमुख त्योहारों पर गोमती चक्र की विशेष पूजा की जाती है। अन्य विभिन्न मुहूर्तों के अवसर पर भी इनकी पूजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रविपुष्य योग पर इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
5- यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।
6- यदि घर में बीमारी हो या किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने लगता है।
7- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।

Jin logo ka pas rojgar nahi ha

जिन लोगो का कोई रोज़गार नही या जो आजीविका से परेशान हॆ या जिनकी रोज़ी रोटी भी नही हॆ
वो माँ काली आजीविका दायक साधना कर ले इस्तमाल की हुई साधना हॆ पूरा असर देखा ति हॆ

काली कंकलि महाकाली भरे सुंदर जिए काली चार वीर भैरव चौरासी तब तो पूजूं पान मिठाई थब बोली काली की दुहाई

सुबह पवित्र हो कर शाफ कपड़े पहने  पूर्व दिशा की और मुँह करे आसन पर बैठ कर  धूप दीप से पूजन करे प्रसाद मे पान का बीड़ा ना भुले

49 दिन 49  बार मन्त्र जाप करे

मन्त्र का असर होता हॆ कृपया प्रोयग मे लाऐ

Ma bangla mukhi sadhna

माँ बगलामुखी साधना
   
यह विद्या शत्रु का नाश करने में अद्भुत है, वहीं कोर्ट, कचहरी में, वाद-विवाद में भी विजय दिलाने में सक्षम है। इसकी साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है। उसके मुख का तेज इतना हो जाता है कि उससे आँखें मिलाने में भी व्यक्ति घबराता है। सामनेवाले विरोधियों को शांत करने में इस विद्या का अनेक राजनेता अपने ढंग से इस्तेमाल करते हैं। यदि इस विद्या का सदुपयोग किया जाए तो देशहित होगा।
  
मंत्र शक्ति का चमत्कार हजारों साल से होता आ रहा है। कोई भी मंत्र आबध या किलित नहीं है यानी बँधे हुए नहीं हैं। सभी मंत्र अपना कार्य करने में सक्षम हैं। मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो वह मंत्र निश्चित रूप से सफलता दिलाने में सक्षम होता है।

   हम यहाँ पर सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली, कोर्ट में विजय दिलाने वाली, अपने विरोधियों का मुँह बंद करने वाली माँ बगलामुखी की आराधना का सही प्रस्तुतीकरण दे रहे हैं। हमारे पाठक इसका प्रयोग कर लाभ उठाने में समर्थ होंगे, ऐसी हमारी आशा है।

  यह विद्या शत्रु का नाश करने में अद्भुत है, वहीं कोर्ट, कचहरी में, वाद-विवाद में भी विजय दिलाने में सक्षम है। इसकी साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है।

   इस साधना में विशेष सावधानियाँ रखने की आवश्यकता होती है जिसे हम यहाँ पर देना उचित समझते हैं। इस साधना को करने वाला साधक पूर्ण रूप से शुद्ध होकर (तन, मन, वचन) एक निश्चित समय पर पीले वस्त्र पहनकर व पीला आसन बिछाकर, पीले पुष्पों का प्रयोग कर, पीली (हल्दी) की 108 दानों की माला द्वारा मंत्रों का सही उच्चारण करते हुए कम से कम 11 माला का नित्य जाप 21 दिनों तक या कार्यसिद्ध होने तक करे या फिर नित्य 108 बार मंत्र जाप करने से भी आपको अभीष्ट सिद्ध की प्राप्ति होगी।
आँखों में तेज बढ़ेगा, आपकी ओर कोई निगाह नहीं मिला पाएगा एवं आपके सभी उचित कार्य सहज होते जाएँगे। खाने में पीला खाना व सोने के बिछौने को भी पीला रखना साधना काल में आवश्यक होता है वहीं नियम-संयम रखकर ब्रह्मचारीय होना भी आवश्यक है।

ऊँ ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ऊँ स्वाहा।

हमने उपर्युक्त सभी बारीकियाँ बता दी हैं। अब यहाँ पर हम इसकी संपूर्ण विधि बता रहे हैं। इस छत्तीस अक्षर के मंत्र का विनियोग ऋयादिन्यास, करन्यास, हृदयाविन्यास व मंत्र इस प्रकार है--

विनियोग

अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:। 


आवाहन

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

ध्यान

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

मंत्र इस प्रकार है-- ऊँ ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ऊँ स्वाहा।

मंत्र जाप लक्ष्य बनाकर किया जाए तो उसका दशांश होम करना चाहिए। जिसमें चने की दाल, तिल एवं शुद्ध घी का प्रयोग होना चाहिए एवं समिधा में आम की सूखी लकड़ी या पीपल की लकड़ी का भी प्रयोग कर सकते हैं। मंत्र जाप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के करना चाहिए।

साधनाकाल की सावधानियाँ
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पीले वस्त्र धारण करें।
- एक समय भोजन करें।
- बाल नहीं कटवाए।
- मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
- दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
- साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्‍ठ फलदायी होता है।
- साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल no

Monday, 20 July 2015

Jin or bhooto ki umar

Jinn aag se bante hai...5000 saal se 10000 saal umar hoti hai kabi kani 15 hajar saal
Chudail ...koi dusht aurat hi banti hai...ya kisi aurat ke saath kuch bura huya ho...ye aoni umar bara leti hai...insaano ka khoon pikar

Marne ke baad sabse pehli yoni bhoot ki hoti hai...250 saal iski umar hoti hai...haan agar ye bhoot tapasya kare beetal.ki to brahraksha ban sakta hai...

Rudaraksh shiv ka ansh ha

RUDRAKSHA -- TEARS OF LORD SHIVA
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भगवान शिव के प्रिय रुद्राक्ष में स्वयं शिव का अंश होता है, रुद्राक्ष को शिवाक्ष,शर्वाक्ष,भावाक्ष,फलाक्ष,भूतनाशन,पावन,हराक्ष, नीलकंठ,तृणमेरु,शिवप्रिय, अमर और पुष्पचामर भी कहते हैं, आयुर्वेद के ग्रंथों में भी रुद्राक्ष की महामहिमा का वर्णन है, आयुर्वेदिक ग्रंथों में रुद्राक्ष को महौषधि,दिव्य औषधि आदि कह कर इसके दिव्य गुणों को विस्तार से बताया गया है, रुद्राक्ष की जड़,छाल,फल,बीज और फूल सबमें औषधीय व दैवीय गुण छिपे हुये है. यदि आप तंत्र मंत्र जादू टोना अथवा किसी बुरे साए से परेशान हों! किसी की नजर ने जीना दूभर कर रखा हो! तरह तरह से ग्रहों की दशाओं ने जीवन की नैया को डावा-ड़ोल कर दिया हो! बुद्धि विवेक मस्तिष्क तनाव या किसी समस्या के कारण ठीक से काम न कर पा रहे हो! साथ ही आप यदि हृदय रोगों से परेशान हों, नक्षत्र दोष के कारण बनते काम बिगड़ रहे हों! तो अब समय आ गया है, "दुर्भाग्य के नाश का" और शिव की तरह प्रसन्न और मुक्त होने का. शिव पुराण में कहा गया है कि जिसने रुद्राक्ष धारण कर रखा हो, वो तो स्वयं शिव ही हो जाता है, जी हाँ ठीक सुना आपने जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष धारण कर ले वो शिव के सामान ही दिव्य हो जाता है, लेकिन इसके लिए आपको जाननी होगी कुछ अतिगोपनीय विधियाँ,जो हम आज गहन अध्ययन केबाद आपके लिए ले कर आये हैं, अगर आपको लगता है कि आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा, आप बहुत ही ज्यादा चंचल है और इस बजह से लगातार अपना नुक्सान कर रहे हैं, तो शिव के मन्त्रों से प्राण प्रतिष्ठा कर रुद्राक्ष धारण कीजिये, आपके जीवन में स्थिरता आने लगेगी. राहु, शनि, केतु, मंगल जैसे क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव से होने वाले रोगों व संकटों का नाश होगा, जीवन के संघर्षों से आपको राहत मिलेगी, साथ ही अकाल मृत्यु, दुर्घटनाओं को रोकेगा शिव का एक चमत्कारी रुद्राक्ष, सकन्ध पुराण और लिंग पुराण में कहा गया है कि रुद्राक्ष से आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है, कार्य, व्यवसाय, व्यापार में अपार सफलता दिलवाता है, रुद्राक्ष सुख समृद्धि प्रदान करता है, साथ ही साथ पाप, शाप, ताप से भी भक्त की रक्षा करता है, हम आपको बता दें कि रुद्राक्ष भारत, नेपाल, जावा, मलाया जैसे देशों में पैदा होता है, भारत के असाम, बंगाल, देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में रुद्राक्ष पैदा होतें है, रुद्राक्ष का फल कुछ नीला और बैंगनी रंग का होता है जिसके अन्दर गुठली के रूप में स्थित होता है शिव का परम चमत्कारी दैविक रुद्राक्ष, लेकिन रुद्राक्ष का एक हमशक्ल भी होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है ,
पर उसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते, शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की क्षमता उसके मुखों के अनुसार ही होती है, रुद्राक्ष एक मुखी से ले कर इक्कीस मुखी तक प्राय: मिल जाते है, सबकी अलौकिकता एवं क्षमता अलग अलग होती है, हिमालय की तराइयों से प्राप्त रुद्राक्ष की महिमा सबसे बड़ी कही गई है, दस मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष अतिदुर्लभ कहे गए है, पंद्रह से ले कर इक्कीस मुखी तक के रुद्राक्ष साधारणतय: नहीं मिल पाते, और एक मुखी की तो महिमा ही अपरम्पार है, जिसे मिल जाए उसे जीवन में फिर कुछ और पाना शेष नहीं रहता, वो केवल अत्यंत भाग्य वाले को ही मिल पाता है, रुद्राक्षों में नन्दी रुद्राक्ष, गौरी शंकर रुद्राक्ष, त्रिजूटी रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष, लक्ष्मी रुद्राक्ष, त्रिशूल रुद्राक्ष और डमरू रुद्राक्ष भी होते है, जो अंत्यंत दैविक माने गए हैं. रुद्राक्ष का प्रयोग औषधि के रूप में तो होता ही है साथ ही इसे धारण भी किया जाता है या पूजा के लिए,माला के रूप में प्रयुक्त होता है,स्फटिक शिवलिंग, बाण लिंग अथवा पारद शिवलिंग को स्थापित कर यदि रुद्राक्ष धारण कर लिया जाए तो वो व्यक्ति सम्राटों जैसा बैभव प्राप्त कर लेता है, रुद्राक्ष ऐसा तेजस्वी मनका है जिसका उपयोग बड़े बड़े योगी संत ऋषि मुनि महात्मा परमहंस तो करते ही है साथ ही साथ तांत्रिक अघोरी जैसी वाममार्गी विद्याओं के जानकार भी इसके चमत्कारी प्रभावों के कारण इसकी महिमा गाते फिरते है, भारत के सिद्ध रुद्राक्षों का प्रयोग तो आज विश्व के हर कोने में बैठा व्यक्ति कर ही रहा है, तो आप और हम इसके दिव्य गुणों से दूर क्यों रहें? स्कंध पुराण में कार्तिकेय जी भगवान शिव से रुद्राक्ष की महिमा और उत्पत्ति के बारे में प्रश्न पूछते है तो स्वयं शिव कहते है कि "हे षडानन कार्तिकेय ! सुनो, मैं संक्षेप में बताता हूँ, पूर्व काल में युद्ध में मुश्किल से

या पूजा के लिए,माला के रूप में प्रयुक्त होता है,स्फटिक शिवलिंग, बाण लिंग अथवा पारद शिवलिंग को स्थापित कर यदि रुद्राक्ष धारण कर लिया जाए तो वो व्यक्ति सम्राटों जैसा बैभव प्राप्त कर लेता है, रुद्राक्ष ऐसा तेजस्वी मनका है जिसका उपयोग बड़े बड़े योगी संत ऋषि मुनि महात्मा परमहंस तो करते ही है साथ ही साथ तांत्रिक अघोरी जैसी वाममार्गी विद्याओं के जानकार भी इसके चमत्कारी प्रभावों के कारण इसकी महिमा गाते फिरते है, भारत के सिद्ध रुद्राक्षों का प्रयोग तो आज विश्व के हर कोने में बैठा व्यक्ति कर ही रहा है, तो आप और हम इसके दिव्य गुणों से दूर क्यों रहें? स्कंध पुराण में कार्तिकेय जी भगवान शिव से रुद्राक्ष की महिमा और उत्पत्ति के बारे में प्रश्न पूछते है तो स्वयं शिव कहते है कि "हे षडानन कार्तिकेय ! सुनो, मैं संक्षेप में बताता हूँ, पूर्व काल में युद्ध में मुश्किल से जीता जाने वाला दैत्यों का राजा त्रिपुर था. उस दैत्यराज त्रिपुर नें जब सभी देवताओं को युद्ध में परास्त कर कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया. तो ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र, प्रमुख देवगण तथा पन्नग गण मेरे पास आ कर त्रिपुर का बध करने के लिए मेरी प्रार्थना करने लगे. देवताओं की प्रार्थना सुन कर संसार की रक्षा के लिए मैं बेग से अपने धनुष के साथ सर्व देवमय भयहारी कालाग्नि नाम के दिव्य अघोर अस्त्र को ले कर दैत्य राज त्रिपुर का बध करने के लिए चल पड़ा. लेकिन उसे हम त्रिदेवों से अनेक वर प्राप्त थे, इसलिए युद्ध में लम्बा समय लगा, एक हजार दिव्य वर्षों तक लगातार क्रोद्धमय युद्ध करने से व योगाग्नि के तेज के कारण अत्यंत विह्वल हुये मेरे नेत्रों से व्याकुल हो आंसू गिरने लगे, योगमाया की अद्भुत इच्छा से निकले वो आंसू जब धरा पर गिरे और बृक्ष के रूप में उत्त्पन्न हुये, तो रुद्राक्ष के नाम से विख्यात हो गए, ये षडानन रुद्राक्ष को धारण करने से महापुण्य होता है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है, रुद्राक्षों के दिव्य तेज से आप कैसे दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीते हुये शिव कृपा पा सकते हैं

Navaran mantr

हर संकट को नष्ट करता है मां काली का यह मंत्र




मां कालिका का स्वरूप जितना भयावह है उससे कही ज्यादा मनोरम और भक्तों के लिए आनंददायी है। आमतौर पर मां काली की पूजा सन्यासी तथा तांत्रिक किया करते हैं। माना जाता है कि मां काली काल का अतिक्रमण कर मोक्ष देती है।

आद्यशक्ति होने के नाते वह अपने भक्त की हर इच्छा पूर्ण करती है। तांत्रिक तथा ज्योतिषियों के अनुसार मां काली के कुछ मंत्र ऐसे हैं जिन्हें एक आम व्यक्ति अपने रोजमर्रा के जीवन में अपने संकट दूर करने के लिए प्रयोग कर सकता है। इन्हीं में एक नवार्ण मंत्र है।

दुर्गासप्तशती के अनुसार नौ अक्षरों से बना यह मंत्र मां के नौ स्वरूपों को समर्पित हैं तथा इसके प्रत्येक अक्षर एक ग्रह को नियंत्रित करता है। इस तरह नौ अक्षरों से मिलकर बना नवार्ण मंत्र कुंडली के सभी नौ ग्रहों को साधकर व्यक्ति के जीवन से सभी संकटों को दूर करता है। मंत्र इस प्रकार है:

ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:

कैसे करें इस मंत्र का प्रयोग

यूं तो इस मंत्र का नवरात्रों में विशेष प्रयोग किया जाता है। तांत्रिक इसके सवा लाख, पांच लाख अथवा नौ लाख जाप करके सिद्धियां प्राप्त करते हैं। परन्तु एक आम व्यक्ति भी इस मंत्र से उतना ही लाभ उठा सकता है। इसके लिए आप अपने घर में मां भगवती काली की तस्वीर या प्रतिमा लाएं। सुबह जल्दी नहा-धोकर स्वच्छ वस्त्र पहन कर उस प्रतिमा या तस्वीर के आगे दीपक जलाएं। तिलक लगाएं तथा लाल रंग के पुष्प यथा गुलाब, गुड़हल आदि समर्पित करें। इसके बाद उसी जगह एक आसन पर बैठकर इस मंत्र का 108 बार जप करें। जप के बाद यथायोग्य भोग मां काली को अर्पण करें। यदि आपकी अधिक सामथ्र्य नहीं है तो आप मिश्री के दो दाने भी भोग में अर्पण कर सकते हैं और चाहे तो लाल सेव या अनार का भोग भी मां को लगा सकते हैं।

भोग लगाने के बाद मन ही मन अपनी इच्छा मां को कहें। अपनी इच्छा पूरी होने तक इस प्रयोग को जारी रखें। यदि आपकी इच्छा सात्विक होगी या उससे किसी का अनिष्ट नहीं हो रहा है तो मां कुछ ही दिनों में आपकी मनोकामना पूरी करेगी। यदि आप चाहे तो अपनी इच्छा पूरी होने के बाद भी इस प्रयोग को आजी'वन कर सकते हैं।

Friday, 10 July 2015

अमंगल को मंगल में बदल देते हैं ये आसान 'टोटक

इंसान चाहता है कि उसका अमंगल, मंगलयानि शुभ हो जाए लेकिन ऐसा होना इतना आसान नहीं होता। इसके लिए कुछ नियम बनाने होते हैं तथा सच्चे मन से भगवान से प्रार्थना करनी पड़ती है। साथ ही यदि कुछ आसान टोटके भी किए जाए तो अमंगल को मंगल में बदला जा सकता है। यहआसान टोटके इस प्रकार हैं-

1- दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए किसी कुएं या बावड़ी के पास पीपल का पौधा लगाएं। पौधे के वृक्ष होने तक उसके सींचे और उसकी देख-भाल करें। इस वृक्ष के नीचे रोज शाम को दीपक लगाएं। आप देखेंगे कि धीरे-धीरे सब कुछ आपके अनुकूल होने लगेगा।
2- सुबह के काम निपटाकर, नहाकर गणेश स्तोत्र का पाठ ऊनी आसन पर बैठकर करने से सफलता सुनिश्चित होती है एवं व्यक्ति की मानसिक शक्ति असाधारण रूपसे विकसित होती है।
3- शनि की साढ़ेसाती से पीडि़त जातकों को पुराने कपड़े और जूतों का दान करना चाहिए। साथ ही अमावस्या को किसी पवित्र नदी में स्नान कर शनि कवच का दान करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव की कृपा होकर साढ़ेसाती में उन्नति के द्वार खुलते हैं।
4- मंगलवार के दिन हनुमानजी के पैरों का सिंदूर माधे पर लगाने से भी शुभ फल मिलता है।
5- कर्जा होने की स्थिति में, धन की अत्यधिक कमी होने, आमदनी से ज्यादा खर्चा होने पर, आय के स्त्रोत बढ़ाने के लिए प्रतिदिन कनकधारा स्तोत्र का पाठ लक्ष्मी श्रीयंत्र के सामने ऊनी आसन पर बैठकर करने से लाभ मिलता है। ऐसे जातक को सुगमत से धन की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में धन का अभाव होता है।

सिद्धियाँ

सिद्धिया ,उनके प्रकार और उनके कार्य:---
1. अणिमा –
जिसके पास ये सिद्धि होती है वो व्यक्ति अपने शरीर को अनु या एटम जितना छोटा बना सकता है l
2. महिमा –
इस सिद्धि से व्यक्ति अपने शरीर को जितना चाहे बड़ा बना सकता है l
3. गरिमा –
इस सिद्धि से व्यक्ति अपने शरीर को जितना चाहे उतना भारी कर सकता है l
4. लघिमा –
इस सिद्धि से मनुष्य अपने शरीर को बिलकुल हल्का बना सकता है l
5. प्राप्ति –
इस सिद्धि से व्यक्ति किसी भी स्थान में बिना रोक टोक जा सकता है l
6. प्राकाम्य –
इस सिद्धि को प्राप्त करने से मनुष्य जिस भी चीज की इच्छा करता है वो उसे प्राप्त कर लेता है l7. इशित्वा –
इस सिद्धि की प्राप्ति से मनुष्य किसी भी व्यक्ति पर स्वामित्वप्राप्त करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है
8. वशित्वा –
इस सिद्धि को प्राप्त करने से मनुष्य हर प्रकार के युद्ध में विजय प्राप्त करता है l